मन बस गयो नन्द किशोर बसा लो वृन्दावन में(Man Bas Gayo Nand Kishor Basalo Vrindavan Mein)

मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


सौप दिया अब जीवन तोहे,

रखो जिस विधि रखना मोहे,

तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


चाकर बन कर सेवा करुँगी,

मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,

तेरे दरश करुँगी उठ भोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


अरज़ मेरी मंजूर ये करना,

वृन्दावन से दूर ना करना,

कहे मधुप हरी जी हाथ जोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥

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होलिका दहन शुभ समय और भद्रा का साया

होली फेस्टिवल होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष अर्थ है। बता दें कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और कई लोग होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते है।

मैं सहारे तेरे, श्याम प्यारे मेरे (Main Sahare Tere, Shyam Pyare Mere)

मैं सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे,

तेरे कितने है मुझपे एहसान, हर घडी़ मैं जपूँ तेरा नाम (Tere Kitne Hai Mujhpe Ehsan Har Ghadi Main Japun Tera Naam)

तेरे कितने है मुझपे एहसान,
हर घडी़ मैं जपूँ तेरा नाम,

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

(यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आरम्भ करके आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समापन किया जाता है।)

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