बताओ कहाँ मिलेगा श्याम (Batao Kahan Milega Shyam)

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम ।

चरण पादुका लेकर सब से पूछ रहे रसखान ॥


वो नन्ना सा बालक है, सांवली सी सूरत है,

बाल घुंघराले उसके, पहनता मोर मुकुट है ।

नयन उसके कजरारे, हाथ नन्ने से प्यारे,

बांदे पैजन्यिया पग में, बड़े दिलकश हैं नज़ारे ।

घायल कर देती है दिल को, उसकी इक मुस्कान ॥

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम…


समझ में आया जिसका पता तू पूछ रहा है,

वो है बांके बिहारी, जिसे तू ढूंढ रहा है ।

कहीं वो श्याम कहाता, कहीं वो कृष्ण मुरारी,

कोई सांवरिया कहता, कोई गोवर्धन धारी ।

नाम हज़ारो ही हैं उसके कई जगह में धाम ॥

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम…


मुझे ना रोको भाई, मेरी समझो मजबूरी,

श्याम से मिलने देदो, बहुत है काम ज़रूरी ।

सीडीओं पे मंदिर के दाल कर अपना डेरा,

कभी तो घर के बाहर श्याम आएगा मेरा ।

इंतज़ार करते करते ही सुबह से हो गई श्याम ॥

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम…


जाग कर रात बिताई भोर होने को आई,

तभी उसके कानो में कोई आहात सी आई ।

वो आगे पीछे देखे, वो देखे दाए बाए,

वो चारो और ही देखे, नज़र कोई ना आए ।

झुकी नज़र तो कदमो में ही बैठा नन्ना श्याम ॥

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम…


ख़ुशी से गदगद होकर गोद में उसे उठाया,

लगा कर के सीने से बहुत ही प्यार लुटाया ।

पादुका पहनाने को पावं जैसे ही उठाया,

नज़ारा ऐसा देखा कलेजा मूह को आया ।

कांटे चुभ चुभ कर के घायल हुए थे नन्ने पावं ॥

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम…


खबर देते तो खुद ही तुम्हारे पास मैं आता,

ना इतने छाले पड़ते ना चुबता कोई काँटा ।

छवि जैसी तू मेरी बसा के दिल में लाया,

उसी ही रूप में तुमसे यहाँ मैं मिलने आया ।

गोकुल से मैं पैदल आया तेरे लिए बृजधाम ॥

भाव के भूखे हैं भगवान्…


श्याम की बाते सुनकर कवि वो हुआ दीवाना,

कहा मुझको भी देदो अपने चरणों में ठिकाना ।

तू मालिक है दुनिया का यह मैंने जान लिया है,

लिखूंगा पद तेरे ही आज से ठान लिया है ।

श्याम प्रेम रस बरसा ‘सोनू’ खान बना रसखान ॥

भाव के भूखे हैं भगवान्…


कांटो पर चलकर के रखते अपने भगत का मान ।

भाव के भूखे हैं भगवान् ॥

........................................................................................................
नटराज स्तुति पाठ

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

फाल्गुन में क्या करें, क्या नहीं

माघ पूर्णिमा के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है। इसके उपरांत हिंदू नववर्ष शुरू होगा। फाल्गुन के महीने को फागुन का महीना भी कहा जाता है।

विनायक चतुर्थी कब है

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।

हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की (Haathi Ghoda Pal Ki Jai Kanhaiya Lal Ki)

हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने