घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है (Ghanshyam Teri Bansi Pagal Kar Jaati Hai)

घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


सोने की होती तो,

क्या करते तुम मोहन,

ये बांस की होकर भी,

दुनिया को नचाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


तुम गोरे होते तो,

क्या कर जाते मोहन,

जब काले रंग पर ही,

दुनिया मर जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


दुख दर्दों को सहना,

बंसी ने सिखाया है,

इसके छेद है सीने मे,

फ़िर भी मुस्काती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


कभी रास रचाते हो,

कभी बंसी बजाते हो,

कभी माखन खाने की,

मन में आ जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥

........................................................................................................
ऊँ शिव गोरक्ष योगी - प्रार्थना (Om Jai Gauraksh Yogi - Prarthana)

ऊँ शिव गोरक्ष योगी
गंगे हर-नर्मदे हर, जटाशङ़्करी हर ऊँ नमो पार्वती पतये हर,

माँ दुर्गे आशीष दो (Maa Durge Ashish Do)

माँ दुर्गे आशीष दो माँ दुर्गे आशीष दो
मन मे मेरे वास हो तेरा चरणो संग प्रीत हो ॥

मेरे मन के अंध तमस में (Mere Man Ke Andh Tamas Me Jyotirmayi Utaro)

जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।

मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे(Mithe Ras Se Bharyo Ri Radha Rani Lage)

मीठे रस से भरीयो री,
राधा रानी लागे।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने

संबंधित लेख