गोविंद चले चरावन धेनु(Govind Chale Charaavan Dhenu)

गोविंद चले चरावन धेनु ।

गृह गृह तें लरिका सब टेरे

शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥


सुरभी संग सोभित द्वै भैया

लटकत चलत नचावत नेंन ।

गोप वधू देखन सब निकसीं

कियो संकेत बताई सेंन ॥

ब्रजपति जब तें बन पाउँ धारे

न परत ब्रजजन पल री चैन ।

तजि गृह काज विकली सी डोलत

दिन अरि जाए हो एक बैन ।

जसोमति पाक परोसि कहति सखि

तूं ले जाउ बेगि इह देंन ।

गोविंद लिए बिरहनी दौरी,

तलफत जैसे जल बिनु मेंन ॥


गोविंद चले चरावन धेनु ।

गृह गृह तें लरिका सब टेरे

शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥

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इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

फुलेरा दूज पूजा विधि

फुलेरा दूज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाले त्योहार है। यह त्योहार वसंत पंचमी के आने का संकेत देता है। इस दिन देश भर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को सजाया जाता है।

घुमतड़ा घर आवो, ओ म्हारा प्यारा गजानन (Ghumta Ghar Aao Mhara Pyara Gajanan)

घुमतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,

हमारे हैं श्री गुरुदेव, हमें किस बात की चिंता (Hamare Hain Shri Gurudev Humen Kis Bat Ki Chinta)

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