गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय(Govind Jai Jai, Gopal Jai Jai)

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।

राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥

॥ गोविन्द जय-जय... ॥


ब्रह्माकी जय-जय, विष्णूकी जय-जय ।

उमा- पति शिव शंकरकी जय-जय ॥ २ ॥

॥ गोविन्द जय-जय... ॥


राधाकी जय-जय, रुक्मिणिकी जय-जय ।

मोर-मुकुट वंशीवारेकी जय-जय ॥ ३ ॥

॥ गोविन्द जय-जय... ॥


गंगाकी जय-जय, यमुनाकी जय-जय ।

सरस्वती, तिरवेणीकी जय-जय ॥ ४ ॥

॥ गोविन्द जय-जय... ॥


रामकी जय-जय श्यामकी जय-जय ।

दशरथ-कुँवर चारों भैयों की जय-जय ॥ ५ ॥

॥ गोविन्द जय-जय... ॥


कृष्णाकी जय-जय, लक्ष्मीकी जय-जय ।

कृष्ण-बलदेव दोनों भइयोंकी जय-जय ॥ ६ ॥


गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।

राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥

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महाकाल की शरण मे (Mahakal Ki Sharan Mein)

सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण में,

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी (Jjhulan Chalo Hindolana Vrashbhanu Nandni)

झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी,
झूलन चलो हिडोलना, वृषभान नंदनी।

ललिता देवी मंदिर शक्तिपीठ

मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।

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