ऐसो रास रच्यो वृन्दावन (Aiso Ras Racho Vrindavan)

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

घुंघरू खूब छमा छ्म बाजे,

बजते बिछुवा बहुते बाजे,

रवा कौंधनी केहु बाजे,

अंग अंग में गहना साजे,

चूडियन की झंकार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


बाजे भात भाँति के बाजे,

झांझ पखावज दुन्दुभि बाजे,

सारंगी और महुवर बाजे,

बंसी बाजे मधुर मधुर बाजे,

वीणा हूँ के तार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


राधा मोहन दे गलबईयाँ,

नाचे संग संग ले फिरकईयाँ,

चाल चले शीतल सुखदईयाँ,

जामा पाटुका लहंगा फरिया,

करे सनन सरकार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

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चले है भोला, सज धज के - भजन (Chale Hai Bhola Saj Dhaj Ke)

भोला तन पे भस्म लगाये,
मन में गौरा को बसाये,

राम लला जन्मे है, थाल बजाओ रे (Ram Lalla Jamne Hai Thal Bajao Re)

आज बड़ा ही शुभ दिन,
मंगलाचार सुनाओ रे,

कन्हैया ने जब पहली बार बजाई मुरली, सारी सृष्टि में आनंद की लहर दौड़ी

मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

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