ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं (Na Jane Kaun Se Gun Par Dayanidhi Reejh Jate Hain)

ना जाने कौन से गुण पर,

दयानिधि रीझ जाते हैं ।

यही सद् ग्रंथ कहते हैं,

यही हरि भक्त गाते हैं ॥

॥ कि ना जाने कौन से गुण पर..॥


नहीं स्वीकार करते हैं,

निमंत्रण नृप सुयोधन का ।

विदुर के घर पहुँचकर भोग,

छिलकों का लगाते हैं ॥

॥ कि ना जाने कौन से गुण पर..॥


न आये मधुपुरी से गोपियों की,

दु:ख व्यथा सुनकर ।

द्रुपदजा की दशा पर,

द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

॥ कि ना जाने कौन से गुण पर..॥


न रोये बन गमन में,

श्री पिता की वेदनाओं पर ।

उठा कर गीध को निज गोद में ,

आँसु बहाते हैं ॥

॥ कि ना जाने कौन से गुण पर..॥


कठिनता से चरण धोकर,

मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।

वो चरणोदक स्वयं केवट के,

घर जाकर लुटाते हैं ॥

॥ कि ना जाने कौन से गुण पर..॥


ना जाने कौन से गुण पर,

दयानिधि रीझ जाते हैं ।

यही सद् ग्रंथ कहते हैं,

यही हरि भक्त गाते हैं ॥


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आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द (Aaja Kalyug Me Leke Avtar O Govind)

आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द

प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

नमो नमो(Namo Namo)

नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री(Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥

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